Shri Ram Stuti Lyrics in Hindi – श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्

आज हम मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के बारे में जानेंगे, जिन्होंने इस संसार को हर निकट स्थिति का सामना कैसे करना है, यह सिखाया। आज के युग में, जब कोई समस्या होती है, तो एक नाम ही साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है, जो समस्याओं से निपटने में मदद करता है। वह नाम लोगों को उद्धार प्राप्त कराता है और मुस्कान लाता है। प्रभु श्री राम के बारे में बात कर रहे हैं, जिनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। उन्होंने अपने लोकों के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता का भी समर्थन किया

।। जय श्री राम ।।

श्री राम स्तुति – श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

महत्वपूर्ण जानकारी

प्रभु श्री राम जी भगवान विष्णु के अवतार हैं, जिन्हें श्री राम और श्री रामचन्द्र के नामों से भी जाना जाता है। उनका जन्म देवी कौशल्या के गर्भ से अयोध्या में हुआ था, और उनकी शूरवीरता, धर्माचरण और श्रेष्ठता की कहानी रामायण में विशेष रूप से प्रस्तुत की गई है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने उनके जीवन को महाकाव्य रामचरित्रमानस में प्रस्तुत किया, जो भक्तिभाव से भरा है और उनके गुणों को सराहता है।

भारतीय साहित्य में, रामायण की रचनाएं अनेक भाषाओं में हुई हैं, जो उनकी प्रेरणादायक कहानी को उन्नति और प्रसार में मदद करती हैं। प्रभु श्री राम के चरित्र और उनके दिये गए संदेशों का महत्व आज भी अत्यधिक है, और उन्हें स्मरण करने से लोगों को धार्मिक और नैतिक मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

“Goswami Tulsidas penned down “Shri Ramachandra Kripalu” or “Shri Ram Stuti” during the sixteenth century. This devotional hymn, also known as “Shri Ram Stuti,” showcases a harmonious fusion of Sanskrit and Awadhi languages.”

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